Saturday, March 13, 2010

7

       क्या करतब है तेरा साधू, तू सन्नाटे को चीर गया
      मैं लोगो से यह सुनता हूँ , कि देखो एक फ़कीर गया
      ये ठेके बंद नहीं होंगे, कुछ सरकारी सी बातें है
       ये कार्ल मार्क्स के चेले हैं, क्या गरीब गया क्या अमीर गया

      बच्चन साहब कहते थे, ये बैर मिटाते आपस का
      पर उसने बोतल दे मारी, और देखो वो बेपीर गया
      दुनिया  के इस फेरे में, खून जलाया सारा दिन
     और  डूबा सूरज जेसे ही, वो तोड़ के सब जंजीर गया

     ये लाल रंग की महफ़िल है, सबके अपने शिकवे हैं
     वो हाथ में लेकर पैमाना, और जेब में एक तस्वीर गया
     हर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
     सब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया

Sunday, January 24, 2010

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मेरी मौत की ताकीद सुनाने वाले
मुझको मिलते है मेरे राज़ बताने वाले
मेरे होंठो की हंसी पर  हैरां हो क्यूँ 
अब भी बाकी  है मेरे घर में कमाने वाले

वक़्त का खेल मैंने भी बहुत खेला है
मुझको भी जानते है आज ज़माने वाले
चूक गया आज तीर उनका भी 
जिनको कहते थे सूरमा निशाने वाले

तेरी  हसरत में   उम्र निकलती  जाये
हम  नहीं  यादों  को  भुलाने  वाले
ये तो आँखों का नशा है उनकी
वरना और भी मिलते हैं पिलाने वाले

नाम निकला है मेरा भी गैरों में
कौन थे तेरी फेहरिस्त बनाने वाले
छोड़ दे जंग ये बात पुरानी हुई
मिट गए हमको कई लोग मिटाने  वाले

Monday, January 18, 2010

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यह  बात बड़ी बेमानी है, सांसो का मोल नहीं होता
ये जानने वाले जानते है, जीवन अनमोल नहीं होता..

शब्दों के अपने अर्थ हुए, अर्थों  क़ि अपनी परिभाषा
पर परिभाषा के मंथन में, शब्दों का मोल नहीं होता.

वो रेखाओं से हार गया, बस सपने उसके साथ रहे
इन हालातों के साये में, सपनो का मोल नहीं होता

उन संबंधो का छल कैसा ,जिन  संबंधो का नाम नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में, रिश्तो का मोल नहीं होता

वो डूब गया जो सूरज था, और उगने वाला भी सूरज
जब रात को रोज़ अमावास हो,तारो का मोल नहीं होता

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