क्या करतब है तेरा साधू, तू सन्नाटे को चीर गया
मैं लोगो से यह सुनता हूँ , कि देखो एक फ़कीर गया
ये ठेके बंद नहीं होंगे, कुछ सरकारी सी बातें है
ये कार्ल मार्क्स के चेले हैं, क्या गरीब गया क्या अमीर गया
बच्चन साहब कहते थे, ये बैर मिटाते आपस का
पर उसने बोतल दे मारी, और देखो वो बेपीर गया
दुनिया के इस फेरे में, खून जलाया सारा दिन
और डूबा सूरज जेसे ही, वो तोड़ के सब जंजीर गया
ये लाल रंग की महफ़िल है, सबके अपने शिकवे हैं
वो हाथ में लेकर पैमाना, और जेब में एक तस्वीर गया
हर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
सब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया