कभी मुहब्बत कभी रुसवाई लगे, भीड़ में भी अब तन्हाई लगे,
बदलता रहा वो रंग कुछ ऐसे, मुझे मुकद्दर मेरा हरजाई लगे.
लुट गया दीवाना मैखाने में, बेटे की किताब महंगाई लगे..
अजब दस्तूर है ज़माने का, जिस्म बेचना भी कमाई लगे
मेरी ताकत की नुमाइश क्या होगी, तेरी आँखों में बेवफाई लगे
बड़ी देर में समझा साहब , उसको प्यारी मेरी जुदाई लगे.
कम हुआ धूप में चलना अब, मुझसे खफा मेरी परछाई लगे
फैसला मंज़ूर हुआ दोनों तरफ , मुझे सजा उसे रिहाई लगे !
बदलता रहा वो रंग कुछ ऐसे, मुझे मुकद्दर मेरा हरजाई लगे.
लुट गया दीवाना मैखाने में, बेटे की किताब महंगाई लगे..
अजब दस्तूर है ज़माने का, जिस्म बेचना भी कमाई लगे
मेरी ताकत की नुमाइश क्या होगी, तेरी आँखों में बेवफाई लगे
बड़ी देर में समझा साहब , उसको प्यारी मेरी जुदाई लगे.
कम हुआ धूप में चलना अब, मुझसे खफा मेरी परछाई लगे
फैसला मंज़ूर हुआ दोनों तरफ , मुझे सजा उसे रिहाई लगे !