Wednesday, March 27, 2013

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इस रिश्ते  को पर्दा ही रहने दो, 
तुमसे न बताया जायेगा ,
तुम तो न पहचानोगे मुझे,
पर  आँखों से रहा न जायेगा ! 

कोई बात बाकी नहीं रही,
हिसाब ख़तम कर दिया मैंने ,
असल तो तुम ले गए,
यादों से मेरा वक़्त कट जायेगा ! 

थकना ही होगा उसे एक दिन ,
ये मंज़र ही ऐसा है साहब, 
लोहे के पिंजरे में अकेला,
आखिर कब तक फड़फडायेगा !

मैंने नहीं कहा तुमको बेवफा,
बेफिर्क  ज़िन्दगी जी तो तुम , 
वो कहते हैं मुझको बुजदिल,
इलज़ाम किसी के सर तो जायेगा !

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