अब तो हंसी के भी ऊँचे दाम होते हैं
और खुशियों के पैमाने जाम होते हैं.
मुद्दतें बीत गयी चौपाल पे बैठे हुए
आखिर शाम को भी तो कई काम होते हैं.
एक अरसे से उसने हाल मेरा पुछा नहीं
अब जनाजों में ही दुआ सलाम होते हैं
कट गया चौक से एक और दरख्त
इमारती लकडी के मंहगे दाम होते हैं
उस माँ को कहते सुना मिटटी में न खेल
बिमारियों के भी कई नाम होते हैं
और छूट गया खेल कंचो का मोहल्ले से
ऊँचे तबकों में मां बाप बदनाम होते हैं
आज देखा उसने मुझे इत्मिनान से लेकिन
हर मुहब्बत के जुदा अंजाम होते हैं
तुझको रुसवा न करेंगे ये वादा रहा
आखिर शायरों के भी कुछ ईमान होते हैं
और खुशियों के पैमाने जाम होते हैं.
मुद्दतें बीत गयी चौपाल पे बैठे हुए
आखिर शाम को भी तो कई काम होते हैं.
एक अरसे से उसने हाल मेरा पुछा नहीं
अब जनाजों में ही दुआ सलाम होते हैं
कट गया चौक से एक और दरख्त
इमारती लकडी के मंहगे दाम होते हैं
उस माँ को कहते सुना मिटटी में न खेल
बिमारियों के भी कई नाम होते हैं
और छूट गया खेल कंचो का मोहल्ले से
ऊँचे तबकों में मां बाप बदनाम होते हैं
आज देखा उसने मुझे इत्मिनान से लेकिन
हर मुहब्बत के जुदा अंजाम होते हैं
तुझको रुसवा न करेंगे ये वादा रहा
आखिर शायरों के भी कुछ ईमान होते हैं