सच बोल के हम सब के गुनाहगार हो गए
मेरे शहर के लोग समझदार हो गए
कह के चले थे मुल्क को बदलेंगे एक रोज़
वो आदमी जो भीड़ में शुमार हो गए !
हमने सुना है रात वो आया था इस गली
उसकी नज़र के हम भी इक शिकार हो गए
जिसको भुलाने पी गए हम सारा मैकदा
वो मिल गया तो मै के तलबगार हो गए !
पूछे कोई तो बोलना की मर गया साहिब
जो सच कहा तो दोस्त भी मक्कार हो गए
जिनके ज़मीर और जवानी पे दाग है
वो लोग इस निज़ाम में सरकार हो गए !
मेरे शहर के लोग समझदार हो गए
कह के चले थे मुल्क को बदलेंगे एक रोज़
वो आदमी जो भीड़ में शुमार हो गए !
हमने सुना है रात वो आया था इस गली
उसकी नज़र के हम भी इक शिकार हो गए
जिसको भुलाने पी गए हम सारा मैकदा
वो मिल गया तो मै के तलबगार हो गए !
पूछे कोई तो बोलना की मर गया साहिब
जो सच कहा तो दोस्त भी मक्कार हो गए
जिनके ज़मीर और जवानी पे दाग है
वो लोग इस निज़ाम में सरकार हो गए !