यह बात बड़ी बेमानी है, सांसो का मोल नहीं होता
ये जानने वाले जानते है, जीवन अनमोल नहीं होता..
शब्दों के अपने अर्थ हुए, अर्थों क़ि अपनी परिभाषा
पर परिभाषा के मंथन में, शब्दों का मोल नहीं होता.
वो रेखाओं से हार गया, बस सपने उसके साथ रहे
इन हालातों के साये में, सपनो का मोल नहीं होता
उन संबंधो का छल कैसा ,जिन संबंधो का नाम नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में, रिश्तो का मोल नहीं होता
वो डूब गया जो सूरज था, और उगने वाला भी सूरज
जब रात को रोज़ अमावास हो,तारो का मोल नहीं होता
ये जानने वाले जानते है, जीवन अनमोल नहीं होता..
शब्दों के अपने अर्थ हुए, अर्थों क़ि अपनी परिभाषा
पर परिभाषा के मंथन में, शब्दों का मोल नहीं होता.
वो रेखाओं से हार गया, बस सपने उसके साथ रहे
इन हालातों के साये में, सपनो का मोल नहीं होता
उन संबंधो का छल कैसा ,जिन संबंधो का नाम नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में, रिश्तो का मोल नहीं होता
वो डूब गया जो सूरज था, और उगने वाला भी सूरज
जब रात को रोज़ अमावास हो,तारो का मोल नहीं होता
शब्दों के अपने अर्थ हुए, अर्थों क़ि अपनी परिभाषा
ReplyDeleteपर परिभाषा के मंथन में, शब्दों का मोल नहीं होता
सच कहा है हितेश जी ........ जब परिभाष जैसी बड़ी बाते होती हैं तो शब्दों का मोल ख़त्म हो जात है .........
उन संबंधो का छल कैसा ,जिन संबंधो का नाम नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में, रिश्तो का मोल नहीं होता
बहुत लाजवाब लिखा है ..... रिश्ते आज ख़त्म हो गये हैं ...........
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
ReplyDeletehitesh ji
ReplyDeletebahut hi sundar rachna
bahut bahut abhar
सुंदर भाव !
ReplyDeleteकृपया सेटिग्स से वर्ड वेरिफिकेशन को डिसएबल करदें
लिखते रहें !!
ReplyDeletebadhiya likha hai...keep writing....
ReplyDeleteये उम्र और ये तेवर , बहुत सुन्दर लिखते हैं आप !
ReplyDeleteI don't know how to type in Hindi here but all i wanted to say is, the last lines were beautiful. Moreso, they were honest. Kudos!
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