क्या करतब है तेरा साधू, तू सन्नाटे को चीर गया
मैं लोगो से यह सुनता हूँ , कि देखो एक फ़कीर गया
ये ठेके बंद नहीं होंगे, कुछ सरकारी सी बातें है
ये कार्ल मार्क्स के चेले हैं, क्या गरीब गया क्या अमीर गया
बच्चन साहब कहते थे, ये बैर मिटाते आपस का
पर उसने बोतल दे मारी, और देखो वो बेपीर गया
दुनिया के इस फेरे में, खून जलाया सारा दिन
और डूबा सूरज जेसे ही, वो तोड़ के सब जंजीर गया
ये लाल रंग की महफ़िल है, सबके अपने शिकवे हैं
वो हाथ में लेकर पैमाना, और जेब में एक तस्वीर गया
हर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
सब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया
सब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया,
ReplyDeleteबहुत खूब,मन छू गई आप की रचना
बच्चन साहब कहते थे, ये बैर मिटाते आपस का
ReplyDeleteपर उसने बोतल दे मारी, और देखो वो बेपीर गया..
वाह बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! दिल को छू गयी आपकी ये शानदार रचना!
bahut sunder kum umr me itanee gahree soch.?ise soch ko naman.....
ReplyDeleteYet again! saying great poem, good creation, must be usual stuff for you now. I just wanna say ki aapki har poem mein there are a couple of lines, they say na that cheer k jati hain...loved the last two lines of second stanza.
ReplyDeletei have a feeling that you are a teetotaller. if yes then, this stuff!!! terrific!!
Thank u all for motivation. And @Chhavi What to say, just recall the song "Nashe me kaun nahi hai mujhe batao zara.." :))
ReplyDeletekafi achcha likhte hain aap...your profile lines are just splendid...
ReplyDeleteand thanks so much for visiting and writing on my blog
ये लाल रंग की महफ़िल है, सबके अपने शिकवे हैं
ReplyDeleteवो हाथ में लेकर पैमाना, और जेब में एक तस्वीर गया
हर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
सब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया
bahut hi sunder rachna hitesh, badhaai.
बहुत खूब हितेश जी ....तेवर तीखे हैं और ज़ज्बात गहरे ......लाजवाब ......!!
ReplyDeleteहर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
ReplyDeleteसब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया
बहुत ही सुन्दर कविता है...सच का आईना दिखाती
"और वो चला गया बिना मुड़े"..ये नॉवेल जो आपने अभी पढ़ा.वो तो पूरा भी हो गया.अभी दूसरे नॉवेल की भी दो किस्त पोस्ट कर चुकी हूँ.मेरा एक और ब्लॉग है.www.rashmiravija.blogspot.com ....वक़्त मिले तो देखें.
@yogesh @shikha @heer @rashmi Thank u for your motivation.
ReplyDelete@rashmi I will surely read that too..
ये लाल रंग की महफ़िल है, सबके अपने शिकवे हैं
ReplyDeleteवो हाथ में लेकर पैमाना, और जेब में एक तस्वीर गया
हर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
सब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया
bahut hi achchhi rachna ,padhkar man prasnn hua
वाह हितेश,
ReplyDeleteअच्छा लगा आपको पढ़कर.
ये लाल रंग की महफ़िल है, सबके अपने शिकवे हैं
वो हाथ में लेकर पैमाना, और जेब में एक तस्वीर गया
हर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
सब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया
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किस किस की दास्ताँ सुनोगे तुम हितेश
इस जमाने के अन्दर तो जमाने बहुत हैं
:)
very goood!!!!!!
ReplyDeleteये लाल रंग की महफ़िल है, सबके अपने शिकवे हैं
ReplyDeleteवो हाथ में लेकर पैमाना, और जेब में एक तस्वीर गया
हर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
सब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया
ekyatharthkobayan karati aapki khoob surat rachana ,behatareen dil ko choo gai.
बहुत सुन्दर पोस्ट
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत गहरी बातें
हर दिल में लाखों बातें है, हर कोई कहना चाह रहा
ReplyDeleteसब छूट यहीं रह जाता है, कौन ले कर साथ जागीर गया
खाली हाथ आए और खाली हाथ ही जाना है ... सब कुछ यही रह जाना है ...
बहुत ही कमाल का लिखा है हितेश जी ....
Thank you all for reading and motivating me :))
ReplyDeleteitanee lambee chuppee.............?
ReplyDeletetabiyat to theek hai na..?
बहुत ही सुन्दर रचना है ! आपकी शैली बहुत अच्छी है !
ReplyDeleteअच्छा लगा यहाँ आना। अच्छे भाव हैं।
ReplyDeleteये ठेके बंद नहीं होंगे, कुछ सरकारी सी बातें है
ReplyDeleteये कार्ल मार्क्स के चेले हैं, क्या गरीब गया क्या अमीर.......
sir, nice poem!
good one Hitesh.
ReplyDelete-Vikas Joshi