नहीं वो बात अब पीपल की ठंडी छांव में
शहर बसने लगा है रोज़ मेरे गांव में
शहर बसने लगा है रोज़ मेरे गांव में
न जाने बोलियां मीठी कहाँ गायब हुई
नहीं है फर्क कोई कूक में और कांव में
नहीं है फर्क कोई कूक में और कांव में
किसी के घर नहीं जाता कोई अरसे तलक
के जैसे बांध ली बेड़ी सभी ने पांव में
के जैसे बांध ली बेड़ी सभी ने पांव में
ये बच्चे खेलते हैं चीन के डब्बों से अब
हमारा दिल अभी भी कागज़ो की नाव में
हमारा दिल अभी भी कागज़ो की नाव में
मोहब्बत, दोस्ती, महफ़िल, चिलम और चाय भी
तरक़्क़ी के लिए क्या क्या लगाया दांव में
तरक़्क़ी के लिए क्या क्या लगाया दांव में
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