Thursday, July 14, 2016

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न कुछ अाता है, न कुछ जाता है
सच वो है, जो राजा बताता है ,
मदारी के पैर मे घुंगरू हैं
और बंदर डुगडुगी बजाता है
वो सियासत मे बस पियादा है
भीड़ मे जो नारे लगाता है
वो बात करेंगे मुस्तकबिल की
बात करने मे क्या जाता है
बस मैला हो के ही निकला
इस हमाम मे जो भी नहाता है
कल उसको भूख से मरते देखा
वो शख्श जो रोटिया उगाता है

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