Tuesday, September 24, 2013

13

 उसके तुम पर भी एहसान है क्या,
 कल खुदा  था आज इन्सान है क्या ?
 मेरे मुकद्दर का मसीहा कहने वाले ,
तू  मेरे नाम से भी अनजान है क्या?

तुझसे बिछड के सोचा था मौत आएगी
फरिश्तो में भी कोई बेइमान है क्या?
कुबूल है आना इस रात तेरे घर में
बस ये बता दो - सामान है क्या ?

चल पड़ा दूर तक आदत बदल बदल के
मोहब्बत का सफ़र आसान है क्या ?
क्यों खुश हूँ तेरी तड़प से जाने
मेरे अन्दर भी कोई शैतान है क्या ?



Friday, July 5, 2013

उत्तराखंड १

चंद  लाशों की दो पल  हिफाज़त कर दी, 
उनकी टोपी ने फिर से सियासत कर दी ,

तेरी ताक़त का ज़नाज़ा भी  देखा हमने 
एक बार जो कुदरत ने बगावत कर दी !

मेरे आका तेरे गुस्से को समझता हु मै 
तेरे कानून बदलने की हिमाक़त कर दी ! 

तेरे परबत , तेरे जंगल तो बने सब के लिए 
कुछ नमूनों ने इसे खुद की विरासत कर दी 

उनकी आदत है दरिया  को परेशां करना 
फिर ये कहना कि बारिश  ने शरारत कर दी 

Monday, June 3, 2013

12

तख़्त वाजिब है गुलाम बदल जायेंगे ,
कुछ हाकिमो के अब काम बदल जायेंगे 
देख लीजिये मोहब्बत को जी भर के ,
रात गुज़रेगी तो फिर नाम बदल जायेंगे।

क्या भरम पालिए शोहरत का अब -
महफ़िल वही है बस जाम बदल जायेंगे 
मत भूलिए शुक्रिया अता करना ,
वक़्त के साथ एहसान बदल जायेंगे .

सुना है फ़ौज है सरहद पे खड़ी 
कुछ गिद्धों के शमशान बदल जायेंगे -
जंग क्या है बस एक नज़र है साहब ,
ऐनक बदलते ही अंजाम बदल जायेंगे -

Sunday, April 21, 2013

11


राज़ हमसे ना ये अब छुपाया जायेगा 
दीवाना किस्सो मे हकीकत सुनायेगा . 
ये सोच के मुहब्बत की नहीं हमसे ,
शायर है आखिर कितना कमायेगा !! 

तेरी आदत मेरी शिद्दत का इम्तेहां लेती है 
अब जाने भी दे- और कितना आज़माएगा 
कर ले इश्क़ यहाँ कुछ हराम नहीं होता 
खुदा भी इंसान है ,समझ जायेगा !

मेरी हिम्मत की बात कभी करना मत 
सिर्फ इशारों मे ही जंग हार जायेगा 
मेरी माफी मेरी जीत का सबब है साहब 
मुहब्बत कर, खुद ब खुद जान जायेगा !

Wednesday, March 27, 2013

10

इस रिश्ते  को पर्दा ही रहने दो, 
तुमसे न बताया जायेगा ,
तुम तो न पहचानोगे मुझे,
पर  आँखों से रहा न जायेगा ! 

कोई बात बाकी नहीं रही,
हिसाब ख़तम कर दिया मैंने ,
असल तो तुम ले गए,
यादों से मेरा वक़्त कट जायेगा ! 

थकना ही होगा उसे एक दिन ,
ये मंज़र ही ऐसा है साहब, 
लोहे के पिंजरे में अकेला,
आखिर कब तक फड़फडायेगा !

मैंने नहीं कहा तुमको बेवफा,
बेफिर्क  ज़िन्दगी जी तो तुम , 
वो कहते हैं मुझको बुजदिल,
इलज़ाम किसी के सर तो जायेगा !

Monday, January 14, 2013

9

कोई बात ऐसी कहो कभी, मेरी आरज़ू को वज़न मिले 
मुझे होश ना रहे कोई, मेरी हसरतों को गगन मिले !

यूँ तो साल कितने गुज़र गए,  ये तो ज़िन्दगी का सफ़र रहा 
तेरी एक झलक है बसी हुई, जैसे कल ही तो थे तुम मिले 

मुझे लोग कहते हैं बावरा, मैंने एक ख़िताब तो कमा लिया 
मैंने दिल से अपने कहा है कल , ज़रा आईने से कम मिले 

कई राज़ लेके चला हूँ मैं , तभी  दूर तक न गया कभी 
मैंने फैसलों को बदल दिया , तेरे नैन जब भी नम मिले 






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