तख़्त वाजिब है गुलाम बदल जायेंगे ,
कुछ हाकिमो के अब काम बदल जायेंगे
देख लीजिये मोहब्बत को जी भर के ,
रात गुज़रेगी तो फिर नाम बदल जायेंगे।
क्या भरम पालिए शोहरत का अब -
महफ़िल वही है बस जाम बदल जायेंगे
मत भूलिए शुक्रिया अता करना ,
वक़्त के साथ एहसान बदल जायेंगे .
सुना है फ़ौज है सरहद पे खड़ी
कुछ गिद्धों के शमशान बदल जायेंगे -
जंग क्या है बस एक नज़र है साहब ,
ऐनक बदलते ही अंजाम बदल जायेंगे -
सुना है फ़ौज है सरहद पे खड़ी
ReplyDeleteकुछ गिद्धों के शमशान बदल जायेंगे -
जंग क्या है बस एक नज़र है साहब ,
ऐनक बदलते ही अंजाम बदल जायेंगे -
जबरदस्त .. हर मुक्तक लाजवाब ... वाह वाह निकल जाता है मुंह से अपने आप ही ...
ख़याल और बयानगी दोनों उम्दा .
ReplyDeleteअच्छा लिखते हो भाई ..
ReplyDeleteअब यह कलम चलती रहे !!
बधाई !!