Wednesday, December 13, 2017

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आदमी बनता के खुदा बनता
और तेरे लिए क्या बनता

तूने आँधी बना के छोड़ दिया
बात तो जब थी के हवा बनता

हम,बुज़दिली ओ सनक एक साथ
फिर ना कैसे ये  कहकहा बनता

आप साथ उसके नहीं रह सकते
ग़ोया अच्छा सा आशियाँ बनता

सिर्फ़ घर बनाना मुश्किल है यहाँ
वरना दिल्ली में क्या नहीं बनता

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