Wednesday, December 13, 2017

29

और इस तरह वो शरारत करते हैं
मेरी हर बात को अदालत करते हैं

इश्क़, शहर आदमी ओ हवा
हम तो सबसे शिकायत करते हैं

आजकल कुछ नहीं करता हूँ मैं
आजकल आप क़यामत करते हैं

आज उनकी गली से गुज़रते हैं चलो
आज उन पर इनायत करते हैं

No comments:

Post a Comment

Recent

43

नहीं वो बात अब पीपल की ठंडी छांव में   शहर बसने लगा है रोज़ मेरे गांव में न जाने बोलियां मीठी कहाँ गायब हुई   नहीं है फर्क कोई कूक में और...

Popular