शब ए बहार का और कितना इन्तज़ार करें
अब और क्या करें जाना ,चलो प्यार करें
इससे पहले के बदल जाए मिज़ाज ए वफ़ा
हम वफ़ादारी का आपस में एक क़रार करें
वो सो रहा है जिससे हमको है वहशत
अभी ये वक़्त है बुज़दिल के उस पे वार करें
जाँनिसार मुझको समझ ना कभी मेरे हमदम
जाँ बची ही कहाँ है जो जाँ निसार करें
ये अंजुमन बड़े रसूख़ की नुमाया है
यहाँ हर एक आदमी का शौक़ है शिकार करें
अब और क्या करें जाना ,चलो प्यार करें
इससे पहले के बदल जाए मिज़ाज ए वफ़ा
हम वफ़ादारी का आपस में एक क़रार करें
वो सो रहा है जिससे हमको है वहशत
अभी ये वक़्त है बुज़दिल के उस पे वार करें
जाँनिसार मुझको समझ ना कभी मेरे हमदम
जाँ बची ही कहाँ है जो जाँ निसार करें
ये अंजुमन बड़े रसूख़ की नुमाया है
यहाँ हर एक आदमी का शौक़ है शिकार करें
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